8 घंटे के अंदर Urinary Tract में बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने में सक्षम-UTI Treatment
मूत्र पथ का संक्रमण (यूटीआई UTI) (Urinary Tract Infection) एक बैक्टीरिया जनित संक्रमण है जो मूत्रपथ के एक हिस्से को संक्रमित करता है। जब यह मूत्र पथ निचले हिस्से को प्रभावित करता है तो इसे सामान्य मूत्राशयशोध (मूत्राशय का संक्रमण) या UTI कहा जाता है और जब यह ऊपरी मूत्र पथ को प्रभावित करता है तो इसे वृक्कगोणिकाशोध (गुर्दे का संक्रमण) कहा जाता है।
ऊपरी मूत्र पथ को हाइलाइट किया गया है।
निचले भाग के संक्रमण के लक्षणों में दर्द सहित मूत्र त्याग और बार-बार मूत्र त्याग या मूत्र त्याग की इच्छा (या दोनो) शामिल हैं। जबकि गुर्दे का संक्रमण (वृक्कगोणिकाशोध) में निचले यूटीआई के लक्षणों के साथ बुखार और कमर में तेज दर्द भी शामिल होते हैं। बुजुर्ग व बहुत युवा लोगों में लक्षण अस्पष्ट या गैर विशिष्ट हो सकते हैं। दोनो प्रकार के संक्रमणों के मुख्य कारक एजेंट एस्केरीशिया कॉली हैं, हलांकि अन्य दूसरे बैक्टीरिया, वायरस या फफूंद भी कभी कभार इसके कारण हो सकते हैं।
कैसे करें UTI की पहचान?
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम हैं, आधी महिलाओं को उनके जीवन में कम से कम एक बार संक्रमण होता है। संक्रमण का बार-बार होना आम बात है। स्वस्थ युवा महिलाओं में निदान का आधार मात्र लक्षण भी हो सकते हैं। जिनमें अस्पष्ट लक्षण होते हैं, निदान कठिन हो सकता है क्योंकि बैक्टीरिया बिना संक्रमण हुये भी उपस्थित हो सकते हैं। जटिल मामलों में या उपचार के विफल होने पर, एक यूरिन टेस्ट करवाया जाता है जिसे यूरिन कल्चर (मूत्र कल्चर) कहते हैं, उपयोगी हो सकता है। नियमित संक्रमण वाले लोगों में, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक को निवारक उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
मूत्र पथ संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के मूत्र में बहुत सी श्वेत रक्त कणिकाएँ दिख रही हैं।
UTI के लक्षण
सबसे आम लक्षण मूत्र त्याग करते समय जलन और योनि स्राव की अनुपस्थिति में बार-बार मूत्र त्याग (या मूत्र त्याग की इच्छा) तथा गंभीर दर्द। ये लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं और एक स्वस्थ महिला में औसत रूप से छः दिन तक बने रह सकते हैं। जघन हड्डी के ऊपर या निचली पीठ में दर्द हो सकता है। ऊपरी मूत्र पथ संक्रमण या वृक्कगोणिकाशोध से पीड़ित लोगों में कमर में तेज दर्द, बुखार या मिचली और उल्टी के साथ निचले मूत्र पथ संक्रमण के परंपरागत लक्षण भी हो सकते हैं। कभी-कभार मूत्र में रक्त की कुछ मात्रा की उपस्थिति भी हो सकती है या प्यूरिया (मूत्र में मवाद) की कुछ मात्रा भी दिख सकती है।
UTI का कुदरती उपचार
अगर आप UTI (Urinary Tract Infection) की समस्या से पीड़ित है, और लम्बे समय से एंटीबायोटिक्स का उपयोग कर रहे है तो आज हम आपको एक काफी उपयोगी फ़ूड सप्लीमेंट के बारे में बताने जा रहे है जो आपको बार बार होने वाली UTI (Urinary Tract Infection) की समस्या से निजात दिला सकता है।
हम बात कर रहे है क्रेन्बेरी की जो आप जूस या एक्सट्रेक्ट के रूप में उपयोग कर सकते है ये UTI में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
वैज्ञानिको ने माना है की क्रेन्बेरी जूस पिने के लगभग 8 घंटे के अंदर ही ये urinary tract में बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने में सक्षम है।
क्रेन्बेरी जूस और सप्लीमेंट में मुख्य रूप से एंटीऑक्सीडेंट पोलीफिनॉल जैसे Proanthocyanidins पाए जाते है जो बैक्टीरिया (E. coli) को urinary tract की आतंरिक दिवार से चिपकने नही देता है इसके साथ ही क्रेन्बरी में पाए जाने वाले ये मुख्य अवयव पाचन तन्त्र में जाकर भी नष्ट नही होते तथा urinary system में जाकर भी एक्टिव रहते हुए बैक्टीरिया की ग्रोथ को रोकते है।
कितनी मात्रा है कारगर?
लगभग 400 ml 25% क्रेन्बरी जूस रोजना पिने पर UTI (Urinary Tract Infection) की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। 120-800 mg Dried क्रेन्बरी को टेबलेट या कैप्सूल के रूप में दिन में दो से तीन बार उपयोग करके UTI से बचा जा सकता है।