रिसर्च -केसर में होते हैं anticancer (कैंसर रोधी) गुण- आइये जानते हैं केसर का कैंसर में उपयोग
Saffron Anticancer Properties: कैंसर इस समय पुरे विश्व में एक बहुत ही भहावय बीमारी के रूप में उभरा है पहले तो इस बीमारी के मामले बहुत ही कम हुआ करते है लेकिन आजकल कैंसर की बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है हृदय रोगों के बाद में कैंसर ही बीमारी से होने वाली मौतों में दुसरे नंबर पर है।
केसर सिर्फ कैंसर कोशिकाओं के लिए ही टॉक्सिक है
कैंसर में काफी सारे ईलाज मौजूद है जो रोगी के जीवन को आसान कर देते है जिनमे मुख्य है कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी, इम्मुनोथेरेपी इत्यादि इन ईलाज से रोगी के जीवन को बढाया जा सकता है। इन सभी ईलाजों का खर्चा भी बहुत अधिक होता है की हर कोई इनको वहन नही कर सकता, इनके साइड इफ़ेक्ट भी काफी अधिक होते है।
अडवांस स्टेज के metastatic कैंसर का ईलाज असम्भव हो जाता है। तो इस प्रकार के ईलाज में कुछ सुधार करने की निरंतर कोशिश की जा रही है ताकि कुछ सुरक्षित और कम खर्च का ईलाज निकाला जा सके इसके लिए कई प्रकार के प्राकृतिक Chemoprevention खोजने की कोशिश हो रही है जो कैंसर को रोकने या उसे धीमा करने और उसको ठीक करने में उपयोगी सिद्ध हो।
तो आज हम यहां पर इसी प्रकार के एक प्राकृतिक ईलाज के बारे में चर्चा करेंगे उसका नाम है केसर यानि जिसको Saffron भी कहा जाता है जो आमतौर पर आसानी से मिल जाता है
Highlights of Saffron Anticancer Properties
केसर सिर्फ कैंसर कोशिकाओं के लिए ही टॉक्सिक है
सामान्य डोस पर केसर आम कोशिकाओं को हानि न पहुचाकर सिर्फ कैंसर कोशिकाओं के लिए ही हानिकारक है
केसर में anticancer गुण इसमें मौजूद रसायन क्रोसिन और क्रोसिटिन के कारण होता है
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Saffron Anticancer properties
केसर किस प्रकार कैंसर में काम करता है इसका पूरी प्रकिर्या या मैकेनिज्म अभी शोध का विषय है फिर भी कुछ मैकेनिज्म है जिनके द्वारा ये anticancer गुण दिखाता है ये सभी टेस्ट in vivo और in vitro किये गए है जिनमे ये परिणाम निकालकर आये है अभी इन पर काफी शोध की जरुरत है
- केसर में मौजूद रसायन कैंसर कोशिकाओं में डीएनए और आर एन ए की बनने की प्रकिया को रोक देते है
- APOPTOSIS की प्रकिया को कैंसर कोशिकाओं में बढ़ा देते है जिससे कैंसर कोशिकाए खत्म होना शुरू हो जाती है
- केसर में क्रोसिन(CROCIN ) मुख्य रूप से कैंसररोधी है ये जीन एक्सप्रेशन और APOPTOSIS में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
- क्रोसिटिन(CROCETIN) कैंसर कोशिकाओं में डीएनए , आर एन ए और प्रोटीन एवं आर एन ए polymerase 2 बनने की प्रोसेस को रोककर कैंसर कोशिकाओं की वृधि को रोकता है इसके साथ ही ये हिस्टोन H1 और H1-डीएनए संरचनाओ पर भी प्रभाव दिखाता है
- केसर में पाया जाने वाला Safranal भी एंटीट्यूमर गुण दिखाता है
Dosage : केसर की रोजाना 20mg से 400 mg डोज़ ली जा सकटी है । एक दिन की अधिकतम डोज़ लगभग 1.5 ग्राम है, जिसे सुरक्षित माना गया है, एक दिन में इससे ज्यादा डोज़ हानिकारक हो सकती है ।
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