H pylori रोज एसिडिटी होने की वजह भी हो सकती है, क्या है इलाज?
H pylori महान वैज्ञानिक मार्शल और राबिन वारेन की खोज थी जिन्होंने ये बताया की एसिडिटी, पेप्टाईटिस और गैस्ट्रिक अल्सर का कारण है।
एसिडिटी पेट से जुड़ी एक आम समस्या है। गर्मी के मौसम में एसिडिटी और अपच की समस्या बढ़ जाती है। इसके कारण व्यक्ति के सीने और पेट में जलन महसूस होती है। एसिडिटी को मेडिकल भाषा में गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफलक्स डिजीज कहते हैं। आजकल जंक फूड्स, एसिडिक फूड्स और मिर्च-मसाले वाले फूड्स खाने से एसिडिटी आम समस्या बन चुकी है।
एसिडिटी के बारे में आम धारणा
आमतौर पर आप यही जानते हैं कि सीने में जलन होना या पेट में समस्या होना एसिडिटी का लक्षण है। मगर इसके अलावा भी एसिडिटी के तमाम लक्षण हैं, जिनसे लोग अंजान रहते हैं। आइए आपको बताते हैं एसिडिटी की कुछ असामान्य लक्षण और इसके इलाज के लिए कुछ आसान घरेलू उपायों के बारे में।
एसिडिटी होने पर रोगी को लगता है कि जैसे भोजन करने पर वह उसके गले में ही अटक गया है, या कई बार डकार के साथ खाना मुंह में भी आ जाता है। अलावा रात को सोते समय इस तरह की दिक्कत अधिक होती है। कुछ गंभीर मामलों में मुंह में खट्टे पानी के साथ खून भी आ सकता है।
आमतौर पर लोगों को यही लगता है कि एसिडिटी खराब खान-पान की वजह से होती है और इसमें मुंह में खट्टा पानी और डकारें आना ही इसके लक्षण होते हैं। लेकिन एसिडिटी के कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं, आमतौर पर जिन पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है।
एसिडिटी के बारे में भ्रम
एसिडिटी के बारे में कुछ भ्रम है। उसका समाधान जरुरी है। वरना लोग सुनी सुनाई बातों के चक्कर में कई साल तक दसों तरह के परहेज के बाद भी कोई आराम नहीं पा पाते हैं।
सन् 1990 तक एसिडिटी के तीन मिथ्या कारण बताये जाते रहे –
1- Hurry – जल्दबाजी में भोजन
2- Curry – मसालेदार भोजन
3- Worry – चिंता के कारण
लेकिन यह भ्रम तब टूटा जब महान वैज्ञानिक मार्शल और राबिन वारेन ने यह खोजा की एसिडिटी, पेप्टाईटिस और गैस्ट्रिक अल्सर का कारण हरि करी और वरी न होकर एक बैक्टीरिया H pylori था।
Helicobacter pylori(H. pylori) एन्टिबायोटिक के दस दिन के कोर्स में समाप्त हो जाता है और लगभग 80% लोगों को हमेशा के लिए राहत मिल जाती है। इन दोनों वैज्ञानिकों के इस महान खोज के लिये सन 2005 में नोबल पुरस्कार भी दिया गया।
यह दवा H pylori Kit के नाम से पुरी दुनिया में उपलब्ध है जो 14 दिन तक खाना होता है।
एसिडिटी के गंभीर लक्षण
मुंह में छाले की वजह कब्ज से होने वाली एसिडिटी की वजह से भी हो सकते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य जरूर होगा, लेकिन एसिडिटी की वजह से भी आपके होंठ भी फट सकते हैं। त्वचा तैलीय होने और मौसम में भी नमी होने के बावजूद यदि आपके होंठ फटते हैं तो, यह एसिडिटी के कारण हो सकता है।
अधिक और लगातार एसिडिटी होने पर इसका प्रभाव आपकी त्वचा पर भी पड़ता है। एसिडिटी होने पर त्वचा की नमी खत्म होने लगती है जिससे त्वचा रूखी हो जाती है। एसिडिटी पैदा करने वाले खाने को चबाते समय कई बार लार के साथ एसिटिक रिएक्शन होते हैं, जो दांतों और मसूड़ों को कमजोर बनाते हैं और मुंह से संबंधित कई समस्याएं होने लगती हैं।
अधिक एसिडिटी होने पर कई बार आंखों से आंसू आने या कंजक्टिवाइटिस संक्रमण की समस्या भी हो सकती है।
ये भी है एसिडिटी का कारण
जानकारों के मुताबिक आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्राव होता है। आमतौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहते हैं व भोजन नली के सम्पर्क में नहीं आते। आमाशय तथा भोजन नली के जुड़ने वाले स्थान पर कुछ विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है, जो अपनी सिकुड़ने की क्षमता से आमाशय व आहार नली का मार्ग बंद रखती है, हालांकि कुछ खाने-पीने पर खुल जाती हैं।
जब इन मांसपेशियों में कोई खाराबी आ जाती है तो कई बार ये अपने आप ही खुल जाती हैं, और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाते हैं। जब ऐसा कई बार होता है तो आहार नली में सूजन व घाव हो जाते हैं। जिसे हम एसिडिटी कहते हैं।
कैसे करें एसिडिटी का इलाज
Acidity होने पर त्रिफला, खाने का सोडा, नींबू का रस व काला नमक कूट व छान कर शीशी में भर कर रख लें। रात में 10 ग्राम चूर्ण पानी में भिगो कर रख दें और सुबह उठकर उसे छान कर पी लें। इसके सेवन के एक घंटे के बाद ही कुछ खाएं या पिये। इसके अलावा दिन में ठंडा दूध, चावल, हरी पत्ते दार सब्जियां, मीठे फल खाएं आदि ही खाएं।
खाने में ताजे फल, सलाद, सब्जियां व इनका सूप, शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और अंकुरित अनाज अधिक से अधिक खाएं। खाना खूब चबाकर और जरूरत से कम ही खाएं। मिर्च-मसाले और ज्यादा तेल वाले भोजन से परहेज करें। रोज खाने में मट्ठा और दही लें। शराब और मांसाहार से दूर रहें व खूब पानी पिएं।
एसिडिटी और योगा
योग की मदद से भी एसिडिटी से समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए आप वज्रासन, उत्तानपादासन, सर्वागासन, हलासन, मत्स्यासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, शलभासन, मयूरासन, भस्त्रिका प्राणायाम, सूर्यभेदी प्राणायाम, अग्निसार क्रिया तथा उदर शक्ति विकासक सूक्ष्म व्यायाम आदि कर सकते हैं।
इन उपायों को आजमाकर आप एसिडिटी को दूर रख सकते हैं। इसके साथ एसिडिटी से बचने के लिए जंक फूड जैसे आहार से दूर रहें। शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहें।
Helicobacter pylori and gastric acid: an intimate and reciprocal relationship