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पेट साफ़ करने के नियम, हम हर रोज कौन-कौन सी गलतियां दोहराते हैं?
पेट साफ़ करने के नियम : -सुबह का समय शौच जाने के हेतु आवश्यक है, सुबह के समय अगर पेट पूरी तरह से साफ नहीं हो तब हमें दिनभर बैचैनी एवं थकान महसूस होती रहती है। आजकल के युवाओं में समय पर शौंच ना जाने की प्रवृति देखी जा रही है, युवाओं और बड़े लोगों में समय पर शौंच ना जा पाने की स्थिति भी आम है। पुरुषों में ही नहीं महिलाओं और युवतियों में भी यह समस्या आम है।
जानते हैं पेट साफ़ करने के नियम:- हम सुबह शौच को जाते समय जाने -अनजाने में बहुत सी गलती कर बैठते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
आइये जानते हैं पेट साफ़ करने के नियम
- शौंच जाने का सर्वोत्तम समय प्रातः 05 बजे ले लेकर 06 बजे तक का होता है, क्योंकि इस समय हमारे शरीर में वायु का प्रकोप होता है जो मल को नीचे सरकाने के लिए आवश्यक है, इस समय मल त्यागना अत्यंत सुलभता वाला होता है। जो व्यक्ति जितना देर से मल त्यागने जाता है, उसे उतनी देर तक शौंचालय में बैठना पड़ता है, जो आंतों एवं गुदा के लिए अत्यंत हानिकारक है।
- सुबह मल त्यागने से पूर्व पानी ना पीने की भूल करना भी बहुत से लोगों में आम होता है जबकि हमें सुबह 1-2 गिलास ठंडा या गुनगुना पानी पीकर मल त्यागने जाना चाहिए जिससे आपके शरीर के विकार दूर हो सकें।
कोई व्यक्ति सुबह के समय शौंच जाने का आदी नहीं है या देर से शौंच जाता है उनके लिए भी 1-2 गिलास जल पीने का नियम लागू होता है। - शौंचालय में मोबाइल लेकर जाना या पढ़ने हेतु धार्मिक/अधार्मिक पत्रिकायें लेकर जाना सर्वथा अनुचित है और यह अत्यंत घृणित भी है। इससे व्यक्ति को समय का पता नहीं चलता और वह जबर्दस्ती बैठा रहता है।
शौंचालय में अपने धर्म से सम्बंधित इष्ट देव का ध्यान अथवा मुख से नाम नहीं लेना चाहिए.. (कुछ लोग इसे सामान्य मानते है, लेकिन यह उचित नहीं है।) - शौंचालय में मन को शांत कर शौंच क्रिया पर ध्यान लगाने से शौंच जल्दी व सुलभता से विसर्जित हो जाता है।
कुछ लोग शौंचालय में जाते ही 2 से 3 मिनिट में निकल आते है, जिससे उन्हें दिन भर में कई बार शौंचालय जाना पड़ता है। इसका मुख्य कारण पेट एक बार में साफ नहीं होना है। - बहुत से व्यक्ति किसी रोग अथवा कब्ज आदि की समस्या की वजह से बहुत देर तक शौंच की इच्छा से बैठे रहते है, जब अधिक देर तक शौंच ना आये तब शौंचालय में जबर्दस्ती बैठना हानिकारक होता है, बार – बार शौंच को नहीं जाना चाहिए, जब इच्छा हो तब ही जाएं।
- कुछ पेट के रोगी भोजन करने के तुरंत बाद ही शौंच के लिए भागते हैं, उस पेट के रोगी को अपना उचित उपचार कराना चाहिए। ऐसे रोगी का शरीर दुबला पतला, जल्दी ही थकने वाला, कम शक्ति और पतले वीर्य को धारण करने वाला होता है, वह गलत आदतों वाला होता है, बाहरी चटपटा खाने वाला एवं अपने जीवन से निराश रहता है।
शौंचालय में बात नहीं करना चाहिए इससे शौचालय के कीटाणु मुख में प्रवेश करते है। कुछ शौंचालय बहुत छोटे होते हैं तथा उचित प्रकाश एवं हवा का अभाव रहता है ऐसे में यह काफी असहज हो सकता है।
शौंचालयों की स्वच्छता ना रखने से अन्य लोगों को या बाहरी लोगों को असहजता हो सकती है तथा आपके सम्मान के लिए भी यह खतरे की बात होती है। - शौंच के दौरान मुँह को बंद ना रखने से मुख के रोग बढ़ते हैं।
- पेट साफ ना होने पर ज़ोर लगाने से भी गुदा, लिवर, जननांगों के रोग बढ़ते हैं।
- रात्रि को पेट साफ करने की दवाएं लेने से भी आँतें कमजोर हो जाती है।
- मल त्यागने के पूर्व मलद्वार ठीक से साफ ना करना इससे मल सूखकर मलद्वार को अवरुद्ध करता है।
- मलद्वार को जल से साफ ना करना या अन्य तरीके से साफ नहीं रखना।
- शौच से फ़ारिग हो जाने के बाद जल नहीं पीना चाहिए।
- प्रेशर आने पर शौंच नहीं जाने से कब्ज होजाता है।शौंच रोकने से रोग बनते हैं।
- शौंच से आने के बाद मेडिकेटेड या साधारण साबुन से हाथ नहीं धोने से या जल्दबाजी में धोने से मल का अंश वहीं रह जाता है तथा रोग उभरते है।
- शौच के उपरांत नेत्रों को जल से धोना चाहिए इससे नेत्रों के रोग नहीं होते हैं।
- स्नान या कुल्ला नहीं करना इससे भी रोग बनते हैं। हाथ पांव नहीं धोना इससे रोग उभरते है।
हमने आपको इस प्रश्न का उत्तर सरलता से दे दिया है, अब आप इन्हें अपने जीवन में भी पालन करें।
धन्यवाद।
आभार : रिपुंजय पाठक (Jay Pathak)