विटामिन डी कमी के कारण? विटामिन डी को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
लगभग 80% भारतीयों में बहुत से समस्याएं विटामिन डी कमी के कारण होती है। यदि आपका रक्त परीक्षण नहीं हुआ है, तो मैं आपको सलाह दूँगा कि आप परीक्षण करवा ले क्यूँकि संभावना है की आपको भी कमी हो सकती है।
अधिकांश लोग इस भ्रम में रहते है की विटामिन डी सिर्फ हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जरुरी है। जबकि इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए भी विटामिन डी की जरुरत पड़ती है। दूसरे विटामिन्स को सक्रीय करने में विटामिन डी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही लवणों को भी एक्टिव करता है। विटामिन डी कमी के कारण से हड्डियों के सभी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। हड्डियां मुलायम होकर कमजोर और टूटने लग जाती है।
विटामिन डी की कमी के कारण:-
– धूप या सूरज की रोशनी कम होनेवाली जगह रहना
– अधिक प्रदूषित वातावरण में रहना
– ज्यादा समय घर के अंदर ही बिताना
– जरूरत से कहीं ज्यादा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना, इन कारणों से सूरज की किरणें त्वचा तक पहुंच ही नहीं पाती ।
– विटामिन डी से भरपूर आहार न लेना
विटामिन डी की कमी के लक्षण –
१. हड्डियों में दर्द और कमजोरी । शरीर के अलग-अलग हिस्सों की मांसपेशियों में लगातार दर्द होना एक लक्षण है।
२. विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी होने पर जरा सी चोट लगने पर हड्डी टूटने, खास तौर पर जांघों, पेल्विस और हिप्स में दर्द होता है।
३. बालों का झड़ना
४. थकान महसूस करना या तनाव में रहना भी विटामिन डी की कमी का एक लक्षण हो सकता है। अक्सर औरतों में विटामिन डी की ज्यादा कमी होने पर डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
५. चोट लगने पर उसके ठीक होने में अधिक समय लगना।
बच्चों में विटामिन-डी की कमी के लक्षण
- शिशुओं में इसकी कमी होने पर मांसपेशियों में मरोड़े, सांस लेने में परेशानी और दौरे आने की परेशानी हो सकती है।उनके शरीर में कैल्शियम की भी कमी हो जाती है।
- सांस की तकलीफ के कारण बच्चे की पसलियां (रिब केज) नर्म रह जाता है और आस-पास की मांसपेशियां भी कमजोर रह जाती हैं।
- समय पर दांत न आना
अगर आपका बच्चा भी रहता है चिड़चिड़ा तो हो सकती है ये बीमारी
विटामिन डी के आहार:-
दूध, दही, संतरे का जूस, साबुत अनाज, दलिया, ओट्स, मशरूम, अंडा इन में विटामिन डी काफी मात्रा में होता है।
आइये जानें विटामिन डी के क्या-क्या माध्यम है।
* विटामिन डी का सबसे अच्छा, सस्ता और प्राकृतिक स्त्रोत है सूरज की किरण। सुबह की ताजी धुप से विटामिन डी की पूर्ति होती है। दोपहर की दूप से चार्म रोग का खतरा रहता है। हड्डियां कैल्शियम की तरह विटामिन डी को स्टोर नहीं करता। इसलिए प्रतिदिन सुबह की धुप अनिवार्य है।
धुप से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरकोंसे मिलनेवाले विटामिन डी से दुगने समय तक टिका रहता है | पूरक लेने से विटामिन विषाक्तता (Toxicity) हो सकती है | लेकिन सूरज की रोशनी आवश्यकता से अधिक विटामिन डी शरीर में बनने ही नहीं देती जिससे विटामिन विषाक्तता हो |
विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए अगर हम धूप लेते हैं, तो हमें पेट और पीठ पर धूप अवश्य लेनी चाहिए। अगर हम शरीर के इन भागों पर धूप लेते हैं, तो हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी काफी हद तक पूरी हो जाती है।
पीछे रीढ़ की हड्डी पर धूप अवश्य लगानी चाहिए । क्योंकि हमारा शरीर spine based है ।
* सॉल्मन, टुना मछली और अंडे का पीला हिस्सा खाने से भी विटामिन डी की पूर्ति होती है।
* गाजर के जूस से भी विटामिन डी कमी दूर होती है।
* डेयरी प्रोडेक्ट जैसे माखन, चीज़, दूध, पनीर दही इत्यादि चीजों से भी विटामिन डी की कमी दूर होती है।
* गिरीदार फ़ल, ताजा सब्जियां और साबुत भीगे हुए अंकुरित अनाज भी विटामिन डी की भरपाई करते है।
आप चाहे जैसे विटामिन डी की पूर्ति करे। लेकिन सूरज की रौशनी से अच्छा कुदरती तोहफा कुछ नहीं। विटामिन डी की मदद से कैल्शियम को शरीर में बनाए रखने में मदद मिलती है जो हड्डियों की मजबूती के लिए अत्यावश्यक होता है। विटामिन डी ओस्टीयोमलेशिया, ओस्टीयोपोरोसिस, कैंसर, क्षय रोग से बचाव करता हैं। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बल मिलता है। इस विटामिन की पूर्ति के लिए रोजाना सुबह-सुबह की मध्यम धुप का सेवन करे और स्वस्थ रहे।
सदा स्वस्थ और खुश रहे।