आचार्य चरक द्वारा बताया हुआ व्योषादि सत्तू- Helpful in Diabetes, Heart Diseases, Piles, Asthma
व्योषादि सत्तू Vyoshadi Sattu :- चरक संहिता के अनुसार व्योषादी सत्तू संतर्पण रोगों जैसे डायबिटीज, दिल की बीमारियाँ, बवासीर और चमड़ी रोगों जैसे कुष्ठ रोगों आदि के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। ये सत्तू भी जौ से तैयार होता है परन्तु इसमें 24 अन्य औषधियाँ भी डाली जाती हैं। आज डॉक्टर पंकज शर्मा जी (BAMS, MD, (Ayurved)) बता रहें हैं कैसे और किस बीमारी में ये उपयोगी है। आप इसे चाहें तो घर पर बना सकते हैं।
Vyoshadi Sattu, व्योषादि सत्तू :-
- संतर्पण से होने वाले रोगो से बचाव एवं उपचार के लिए आचार्य चरक ने व्योषादि सत्तू का उपयोग बताया है। (चरक सूत्रस्थान 23 /19 -24 )
- व्योषादि सत्तू में जौ (यव ) के सत्तू की मात्रा अधिक होने के कारण इसका उपयोग आहार के रूप में किया जाता है।
- इस सत्तू का उपयोग संतर्पण से होने वाले निम्नलिखित रोगो से बचाव एवं उपचार (Treatment )में किया जाता है
1 प्रमेह (20 प्रकार ) -इसके एक प्रकार को मधुमेह( Diabetes mellitus ) कहा जाता है।
2 कुष्ठ -Leprosy
3 अर्श -Piles
4 कामला -Jaundice
5 प्लीहा वृद्धि -Splenomegaly
6 पाण्डु -Anemia
7 अरोचक -Anorexia
8 ह्रदय रोग -Heart disease
9 राजयक्ष्मा -Tuberculosis
10 कास -Cough
11 श्वास -Asthma
12 ग्रहणी रोग -IBS
13 श्वेत कुष्ठ -Leukoderma
14 अतिस्थूलता -Obesity
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Vyoshadi Sattu, व्योषादि सत्तू बनाने के लिए आवश्यक सामग्री एवं मात्रा:-
1. सोंठ -50 ग्राम
2. काली मिर्च -50 ग्राम
3. छोटी पिप्पली -50 ग्राम
4. वायविडंग -50 ग्राम
5. सहजन की छाल -50 ग्राम
6. आवला -50 ग्राम
7. हरीतकी -50 ग्राम
8. विभीतक -50 ग्राम
9. कुटकी -50 ग्राम
10 कंटकारी -50 ग्राम
11. वृहती -50 ग्राम
12 हल्दी -50 ग्राम
13. दारुहरिद्रा -50 ग्राम
14. पाठा -50 ग्राम
15. अतीस -50 ग्राम
16. सरिवन -50 ग्राम
17. हींग -50 ग्राम
18. करेमू के साग का मूल -50 ग्राम
19. अजवाईन -50 ग्राम
20. धनिया -50 ग्राम
21. चित्रक मूल -50 ग्राम
22. सौचर नमक -50 ग्राम
23. सफ़ेद जीरा -50 ग्राम
24. हाऊबेर -50 ग्राम
25. तिल तैल -1200 ग्राम
26. गाय का घी -1200 ग्राम
27. शहद -1200 ग्राम
28. जौ का सत्तू 19200 ग्राम
Vyoshadi Sattu, व्योषादी सत्तू निर्माण विधि :-उपरोक्त क्रम संख्या 1 से 24 तक दी गयी औषध का महीन चूर्ण कर ले तथा हींग को घी में भून कर उसका चूर्ण कर ले। उसके पश्चात गाय के घी तिल के तेल और शहद में सभी चूर्ण को मिला दे। सभी को अच्छे से मिलाने के बाद जौ के सत्तू को भी इसमें मिला दे और एक बर्तन में रख ले।
उपयोग मात्रा :- Vyoshadi Sattu, व्योषादी सत्तू की मात्रा आचार्य चरक ने सुबह -शाम 10 -10 तोला (100 ग्राम) पानी में घोल कर पिने के लिए बताई है।
note :- इसमें उपयोग से अग्नि प्रदीप्त होती है और स्मरणशक्ति (memory )और बुद्धि की वृद्धि होती है।
अगर आप घर पर नहीं बना सकते तो आप हमें कमेंट बॉक्स में सम्पर्क कर सकते हैं।
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